प्रश्न- भारत में तीव्र गति से बढ़ता शहरीकरण, सतत विकास की दिशा में एक व्यापक शहरी सुधारों की मांग करता है?
उत्तर- भारत में 1991 के बाद आयी नई आर्थिक नीति के बाद से भारत की शहरी जनसंख्या
तथा बसावट में तेजी से वृद्धि हुई है। 1991-2001 में जहां शहरीकरण की
दर 2.10% थी ,
2001-2010 में ये दर बढ़कर 3.35% तक पहुँच गई।
इसी क्रम में 2001 की जनगणना में शहर-कस्बों की कुल संख्या 5161
थी जो बढ़कर 7936 हो गई है।
तेजी से विकास करती
भारतीय अर्थव्यवस्था में शहरों का महतवपूर्ण योगदान है तथा अनुमान है कि वर्ष 2030 तक देश की जीडीपी में
यह बढ़कर 70% तक हो सकता है। अत: यह
आवश्यक है कि आर्थिक विकास की गति बनाएं रखने के लिए शहरीकरण की प्रक्रिया को
जारी रखा जाए लेकिन भारतीय शहरीकरण के वर्तमान ढाँचे को देखा जाए तो उसके भीतर अनेक
कमियां है जो सतत विकास सुनिश्चित करने के लिये रणनीतिक समाधानों की आवश्यकता पर जोर
देता है जिसे निम्न प्रकार समझा जा सकता है
- शहरी शासन के प्रति सरकारों की उदासीनता।
- अव्यवस्थित विस्तार से योजना निर्माण एवं क्रियान्वयन में जटिलताएं ।
- शहरों में बढ़ती भीड़ एवं यातातात, प्रदूषण की बढ़ती समस्याएं ।
- मलिन बस्तियों का विकास और शहरी प्रवासन
- पर्यावरणीय मानकों की कमी से अर्बन हीट आइलैंड प्रभाव में वृद्धि।
- अनुपयुक्त अपशिष्ट प्रबंधन एवं अकुशल सीवेज से बढ़ती स्वास्थ्य समस्याएं।
- बढ़ता अतिक्रमण एवं
बाढ, जल जमाव, बढ़ती समस्याएं ।
- शहरों की प्लानिंग में भावी विकास संबंधी दृष्टिकोण का अभाव।
- आधुनिक सुविधाओं, तकनीक, सूचना प्रौद्योगिकी की भूमिका स्पष्ट नहीं होना।
भारत में जैसे-जैसे शहरीकरण
प्रक्रिया बढ़ रही है बुनियादी सुविधाओं, पेयजल, आवास, परिवहन आदि जैसी बुनियादी सुविधाओं की कमी से शहरी
क्षेत्रों पर नकारात्मक प्रभाव देखे जा रहे हैं। कुछ इसी प्रकार की स्थिति बिहार की
राजधानी पटना एवं अन्य बिहार के अन्य शहरों में देखी जा सकती है जहां जल जमाव, प्रदूषण, यातायात जाम आम बात
है।
ऐसी समस्याओं को ध्यान
में रखते हुए ही हाल ही में केरल सरकार द्वारा ‘केरल शहरी आयोग’ का गठन किया गया है जो राज्य में
शहरी परिदृश्य में सुधार लाने के लिये प्रतिबद्ध है। भविष्य के परिदृश्य को
देखते हुए बिहार में भी इसी तरह के आयोग समय की मांग है।
हांलाकि पिछले कुछ
वर्षों में केन्द्र सरकार द्वारा अटल योजना, प्रधानमंत्री आवास योजना, स्मार्ट सिटीज, आत्मनिर्भर भारत
अभियान के माध्यम से सतत एवं संवहनीय शहरीकरण की दिशा में प्रयास किया जा रहा है
लेकिन फिर भी भविष्य के आर्थिक विकास एवं शहरीकरण को देखते हुए केन्द्र एवं राज्यों
के साथ साथ स्थानीय निकायों द्वारा भी विशेष प्रयास की आवश्यकता है।
अनुमान के अनुसार
भविष्य में अर्थव्यवस्था में विस्तार से 2050 तक भारत की आधी आबादी महानगरों में
निवास करेंगी। अत: यह आवश्यक है कि सतत विकास लक्ष्यों के साथ शहरीकरण की प्रक्रिया
को प्रोत्साहन दिया जाए जिसके लिए हरित अवसंरचना, नवचार, नागरिक भागीदारी, नवोन्मेषी एवं संवहनीय
शहरी प्रबंधन जैसे पहलूओं पर विशेष ध्यान देगा होगा ।
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