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Jun 4, 2025

प्रश्‍न- भारत में शीतकालीन वर्षा की जलवायु परिस्थितियों और तंत्र को उनके स्थानिक विस्तार के साथ समझाएँ । 70th BPSC

प्रश्‍न- भारत में शीतकालीन वर्षा की जलवायु परिस्थितियों और तंत्र को उनके स्थानिक विस्तार के साथ समझाएँ । 70th BPSC


उत्‍तर- भारत में वर्षा की अधिकांश मात्रा दक्षिणी पश्चिमी मानसून से होती है लेकिन शीतकाल में होनेवाली वर्षा मुख्‍यत: पश्चिमी विक्षोभ, लौटते मानसून और चक्रवातों द्वारा होती है जिसके स्‍थानिक विस्‍तार को निम्‍न प्रकार देख सकते हैं




  • शीतकाल में भूमध्‍य सागर पर उत्‍पन्‍न समशीतोषण चक्रवात पश्चिमी जेट धारा के द्वारा उत्‍तर पश्चिमी भारत में प्रवेश करता है जो पंजाब, हरियाणा, दिल्‍ली और पश्चिमी उत्‍तर प्रदेश में हल्‍की वर्षा तथा जम्मू और कश्मीर, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड के कुछ क्षेत्रों में बर्फबारी लाते हैं।  जैसे जैसे यह भारत के आंतरिक भाग में बढ़ता है,  कमजोर होता जाता है।  

  • अक्‍टूबर-नवम्‍बर में पूर्वोतर मानसून यानी लौटता हुआ मानसून जब बंगाल की खाड़ी पार करता है तो अपने साथ भारी नमी ग्रहण कर लेता है जिससे दक्षिण भारत में तमिलनाडु, आन्‍ध्र प्रदेश और केरल के कुछ भागों में भारी वर्षा कराती है।

  • अक्‍टूबर-नवम्‍बर तक जब बंगाल की खाड़ी अत्‍यंत गर्म हो जाती है तो उच्‍च तापमान, पूर्वी जेट स्‍ट्रीम आदि संयुक्‍त रूप से चक्रवात हेतु उपयुक्‍त दशाएं उत्‍पन्‍न करती है जिससे भारत के पूर्वी तटीय भागों में चक्रवातीय वर्षा, तूफान आते हैं।


इस प्रकार भारत में कुल वर्षा का लगभग लगभग 20 प्रतिशत भाग शीतकाल में होता है जिसकी जलवायु परिस्थितियां तथा स्‍थानिक विस्‍तार में भिन्‍नता देखने को मिलती है।


शब्‍द संख्‍या 204


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