BPSC Daily Mains writing Practice
प्रश्न- स्वास्थ्य
में निवेश केवल चिकित्सा सुविधा सुधारने का साधन नहीं, बल्कि राष्ट्र-निर्माण की प्रक्रिया का मूल तत्व है। चर्चा कीजिए। 6 अंक
उत्तर: भारत जैसे विविध, विशाल और युवा-प्रधान देश में स्वास्थ्य में निवेश का अर्थ सिर्फ
अस्पतालों, दवाइयों या टीकाकरण तक सीमित नहीं है। यह
राष्ट्र-निर्माण की उस व्यापक प्रक्रिया का हिस्सा है जो मानव पूँजी, उत्पादकता और सामाजिक स्थिरता की नींव तैयार करती है जिसे निम्न प्रकार
समझ सकते हैं:-
- स्वास्थ्य
निवेश का संबंध मानव विकास से है। मातृ और शिशु स्वास्थ्य में सुधार, पोषण, टीकाकरण और सुरक्षित प्रसव सेवाएँ आने वाली
पीढ़ियों की गुणवत्ता तय करती हैं। इसी तरह, महिलाओं,
बुजुर्गों और कमजोर वर्गों की स्वास्थ्य सुरक्षा सामाजिक न्याय और
समावेशी विकास का आधार बनती है।
आर्थिक
स्थिरता
- कोविड-19 महामारी ने दिखाया कि कमजोर स्वास्थ्य प्रणाली राष्ट्र को अचानक वित्तीय
संकट में धकेल सकती है। लाखों परिवार स्वास्थ्य खर्च बढ़ने से गरीबी रेखा के नीचे
पहुंच गए जो यह दर्शाता है कि सार्वजनिक स्वास्थ्य निवेश वास्तव में आर्थिक
स्थिरता का सुरक्षा कवच है।
क्षमता
निर्माण
- स्वास्थ्य में निवेश का प्रभाव राज्य क्षमता और नीति-निर्माण पर पड़ता है। सीमित संसाधनों वाले राज्यों जैसे बिहार आदि के लिए मजबूत स्वास्थ्य प्रणाली राजस्व दबाव कम कर दीर्घकालिक विकास का रास्ता खोलती है।
निष्कर्षतः, स्वास्थ्य में निवेश एक लागत नहीं बल्कि पूँजी निर्माण है क्योंकि एक
स्वस्थ नागरिक न केवल आर्थिक गतिविधियों में सक्रिय योगदान देता है, बल्कि सामाजिक एवं बौद्धिक प्रगति का वाहक बन राष्ट्र-निर्माण की
प्रक्रिया को गति देता है।
शब्द संख्या-220
प्रश्न :21वीं सदी में युद्ध के बदलते स्वरूप ने भारत की सुरक्षा चुनौतियों को किस
प्रकार जटिल बनाया है? भारतीय सेना के हाल के आधुनिकीकरण
रोडमैप के संदर्भ में चर्चा कीजिए। 6 अंक
उत्तर - 21वीं सदी में युद्ध की प्रकृति बदल चुकी है और बदलती तकनीक और “5वीं पीढ़ी के युद्ध” ने राष्ट्रीय सुरक्षा को पहले
से कहीं अधिक जटिल बना दिया है जैसे -
- नया
युद्धक्षेत्र केवल बंदूकों या मिसाइलों तक सीमित नहीं, बल्कि साइबर स्पेस, सूचना, तकनीक,
अंतरिक्ष और स्वचालित प्रणालियों का संयुक्त प्रतिरूप बन चुका है।
- भारत
को दो मोर्चों यानी चीन और पाकिस्तान की चुनौती का सामना करना पड़ता है। जहां पूर्वी
लद्दाख, अरुणाचल, पाकिस्तानी प्रॉक्सी
आतंकवाद और हिंद महासागर में चीन की बढ़ती गतिविधियाँ भारत की रणनीतिक चिंताओं को
और बढ़ाती हैं वहीं अब “5वीं पीढ़ी के युद्ध के दुष्प्रचार,
साइबर हमले, ड्रोन हमले और हाइब्रिड रणनीतियाँ
आदि सुरक्षा परिदृश्य को और अस्थिर बनाती हैं।
इन्हीं चुनौतियों को देखते
हुए भारतीय सेना ने व्यापक रक्षा आधुनिकीकरण रोडमैप तैयार किया है जिसके महत्वपूर्ण
आयाम निम्न हैं।
- हाइपरसोनिक
हथियार, एयर-ब्रीदिंग इंजन और 4th–6th जनरेशन
मिसाइलों का विकास।
- निर्देशित
ऊर्जा हथियार (लेजर, माइक्रोवेव) जो ड्रोन और मिसाइल रक्षा में
क्रांतिकारी भूमिका निभाएंगे।
- सैनिक-केंद्रित
तकनीक जैसे एक्सोस्केलेटन, AI-आधारित हेलमेट, ऑगमेंटेड
रियलिटी सिस्टम।
- AI, साइबर युद्ध, क्वांटम तकनीक, और उपग्रह क्षमताओं का विस्तार।
- लॉजिस्टिक्स
में AI-IoT-Blockchain आधारित सप्लाई चेन।
निष्कर्षतः आधुनिक युद्ध
तकनीकी बुद्धिमत्ता, सूचना नियंत्रण और मशीन-मानव साझेदारी पर आधारित हो
गया है और भारत का यह रोडमैप इन सुरक्षा चुनौतियों को प्रभावी ढंग से निपटने की
दिशा में एक निर्णायक कदम है।
शब्द संख्या- 228
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71th BPSC Mains Answer writing
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प्रश्न: 21वीं सदी की उभरती युद्ध प्रवृत्तियों साइबर, अंतरिक्ष, AI, ड्रोन, हाइपरसोनिक और रोबोटिक युद्ध के संदर्भ में भारत को अपनी रक्षा क्षमता किस प्रकार पुनर्गठित करनी चाहिए? हालिया संस्थागत एवं तकनीकी पहलों के आलोक में विश्लेषण कीजिए। 36 अंक
उत्तर : 21वीं सदी का युद्धक्षेत्र अब बंदूकों और टैंकों तक सीमित नहीं रहा
यह एक बहु-डोमेन, तकनीक-संचालित और निरंतर
विकसित होता पर्यावरण बन चुका है। SIPRI के अनुसार 2024
में वैश्विक सैन्य व्यय में 9.4% की वृद्धि
इसी तीव्र प्रतिस्पर्धा और तकनीकी वर्चस्व की होड़ को दर्शाती है।
पाकिस्तान के साथ हालिया
तनाव, चीन की अंतरिक्ष-सैन्य प्रगति, और साइबर-खतरों की बढ़ती तीव्रता भारत के लिए इस परिदृश्य को और
चुनौतीपूर्ण बनाती है। ऐसी स्थिति में भारत को अपनी सैन्य संरचना, सिद्धांत और तकनीकी क्षमताओं का व्यापक पुनर्गठन करना आवश्यक है।
स्वदेशी रक्षा नवाचार
- DRDO की भूमिका अब परंपरागत अनुसंधान से आगे बढ़कर स्वदेशी स्टार्टअप्स, निजी कंपनियों और विश्वविद्यालयों के साथ साझेदारी पर केंद्रित हो रही है।
- हाइपरसोनिक
वाहन, स्वायत्त ड्रोन, AI-आधारित
कमांड सिस्टम, निर्देशित ऊर्जा हथियार (लेजर, माइक्रोवेव) और रोबोटिक युद्ध उपकरण भारत के रक्षा नवाचार का नया केंद्र
बन रहे हैं।
त्रि-सेना संयुक्तता
भविष्य
का युद्ध थल–जल–नभ तक सीमित नहीं रहा बल्कि यह राजनीतिक, साइबर, अंतरिक्ष और सूचना तक फैला है। भारत में
संयुक्तता को बढ़ावा देने वाली हालिया पहलों ने ठोस आधार तैयार किया है जैसे
- 2020 में सैन्य कार्य विभाग (DMA) की स्थापना।
- मुंबई, गुवाहाटी, पोर्ट ब्लेयर में जॉइंट लॉजिस्टिक नोड्स।
- 2025 में अंतर-सेवा संगठन नियम जारी।
- प्रस्तावित इंटीग्रेटेड थियेटर कमांड्स और इंटीग्रेटेड बैटल ग्रुप्स तालमेल और संसाधन-साझेदारी को मजबूत करेंगे।
संगठनात्मक सुधार
- साइबर
एवं इलेक्ट्रोमैग्नेटिक युद्ध के लिए समर्पित बल, NavIC आधारित
सर्विलांस, और इलेक्ट्रॉनिक युद्ध क्षमताएँ भविष्य का
अनिवार्य हिस्सा बन चुकी हैं।
- सैनिक-केंद्रित
तकनीक जैसे एक्सोस्केलेटन, AI-आधारित हेलमेट, ऑगमेंटेड
रियलिटी सिस्टम के अलावा CDS द्वारा विकसित स्पेस ऑपरेशन्स,
स्पेशल फोर्स ऑपरेशन्स और मल्टी-डोमेन ऑपरेशन्स जैसे सिद्धांत भारत
की नई सैन्य सोच को दर्शाते हैं।
आधुनिक तकनीकों का
समावेश
- AI-संचालित ड्रोन, निर्णय-सहायक प्रणालियाँ, स्वायत्त रोबोट, साइबर आक्रामक क्षमताएँ और संयुक्त सैन्य अभ्यास (अमेरिका, फ्रांस, इज़राइल आदि के साथ) भारत को वैश्विक सैन्य मानकों की ओर ले जा रहे हैं।
रणनीतिक साझेदारी
- क्वाड,
I2U2, NATO-plus देश, और हिंद-प्रशांत सहयोग
भारत की संतुलित सामरिक स्थिति को मजबूत करते हैं विशेषकर पाक–सऊदी समन्वय और चीन
की विस्तारवादी नीतियों के संदर्भ में।
निष्कर्षत: भविष्य का युद्ध
मशीन–मानव–AI की सम्मिलित लड़ाई है। इसमें श्रेष्ठ वही होगा,
जो तेज़ी से नवाचार करे, संयुक्तता बढ़ाए और
बहु-डोमेन क्षमताओं का विकास करे। भारत ने इस दिशा में शुरुआती ठोस कदम उठा लिए
हैं, लेकिन निर्णायक बढ़त पाने के लिए रक्षा तकनीक, स्वदेशी उत्पादन, रणनीतिक साझेदारी और साइबर,
अंतरिक्ष क्षमताओं में तीव्र निवेश अनिवार्य होगा।
शब्द संख्या 405
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