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Mar 13, 2024

प्रश्‍न- “सतत विकास की अवधारणा आर्थिक विकास से कही बढ़कर मानवाधिकारों में समाहित है।” सर्वोच्‍च न्‍यायालय के हालिया निर्णय के संदर्भ में कथन की चर्चा करें।

प्रश्‍न- सतत विकास की अवधारणा आर्थिक विकास से कही बढ़कर मानवाधिकारों में समाहित है।सर्वोच्‍च न्‍यायालय के हालिया निर्णय के संदर्भ में कथन की चर्चा करें।



उत्‍तर- वह प्रक्रिया जिसमें स्‍थायित्‍व और समानता के साथ विकास को महत्‍व दिया है सतत विकास कहलाता है। इस अवधारणा में आर्थिक विकास के साथ ही मानव के मानव होने के नाते प्रदत स्‍वतंत्रता, समानता, न्‍याय, जीवन के अधिकारों को महत्‍व दिया गया है ।

 

इसी को समझाते हुए सतत विकास लक्ष्‍यों में औद्योगिक विकास, गरीबी की समाप्ति, शिक्षा, स्वास्थ्य, जल संरक्षण, जलवायु परिवर्तन, लैंगिक समानता जैसे तत्‍वों को शामिल किया गया।



वर्तमान में देखा जाए तो संपूर्ण आर्थिक विकास की दौड़ में इन तत्‍वों को नरजदांज किया जा रहा है। यही कारण है कि समय समय पर विभिन्‍न देशों की नियामक एवं कानूनी संस्‍थाओं द्वारा इस संबंध में आवश्‍यक दिशा निर्देश भी जारी किए जाते रहे हैं।


हाल ही में सर्वोच्‍च न्‍यायालय ने वेदांता मामले में आर्थिक विकास के बजाए स्‍वच्‍छ हवा, पानी जैसे सार्वभौमिक मानवाधिकारों को महत्‍व देते हुए अपने निर्णय में कहा कि विभिन्‍न सिद्धांतों तथा धारणाओं के आधार पर मानवाधिकार सर्वोपरि है और दुनिया भर की सरकारों और संस्‍थानों को इन अधिकारों को बहाल रखने तथा उनकी रक्षा के प्रयास करने चाहिए भले ही इसके कारण रोजगार और उद्योग प्रभावित हो रहे हो। इसी को समझते हुए संयुक्‍त राष्‍ट्र के सतत विकास लक्ष्‍य में उल्‍लेखित 17 लक्ष्‍य भी मानवाधिकारों के संरक्षण करते हुए आर्थिक विकास की अनुमति देता देता है।


अत: यह कहा जा सकता है मानव का मानव होने के अधिकार का संरक्षण ही सतत विकास का मूल है जिसे प्राप्‍त किए बिना विकास का कोई अर्थ नहीं है।


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