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Dec 2, 2025

BPSC civil service mains answer writing test

Civil service mains answer writing test


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प्रश्‍न- चिकित्सा क्षेत्र में कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) के उपयोग का मूल्यांकन कीजिए तथा आयुष प्रणाली के साथ इसके एकीकरण के लाभ स्पष्ट कीजिए। 6 Marks

उत्तर - कृत्रिम बुद्धिमत्ता अपनी विशेषताओं के कारण हर क्षेत्र में उपयोगी साबित हो रही है। चिकित्सा जगत में इसके बदलाव क्रांतिकारी है जो इसकी व्‍यापक संभावनाओं को व्‍यक्‍त करती है जिसे निम्‍न प्रकार देख सकते हैं

 

AI जहां विशाल डेटा का त्वरित विश्लेषण कर रोगों की शुरुआती पहचान में मदद करता है, जिससे कैंसर, अल्ज़ाइमर जैसे जटिल रोगों का समय पर निदान और उपचार संभव हो पाता है वहीं कोविड-19 महामारी के दौरान वायरस व्यवहार की समझ, टेस्टिंग, वैक्सीन विकास और अस्पतालों में रोबोटिक सेवाओं में AI की भूमिका अत्यधिक महत्वपूर्ण रही।

 

कृत्रिम बुद्धिमत्ता की विशेषताओं को देखते हुए भारत में पारंपरिक चिकित्सा (AYUSH) का भी कृत्रिम बुद्धिमत्ता के साथ उपयोग तेज़ी से बढ़ रहा है जिसके अनेक लाभ है  जैसे  

  • सरकार ने SAHI, NAMASTE और AYUSH-HMIS जैसे डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म विकसित किए जिनसे आयुर्वेदिक ज्ञान का मानकीकरण और रिसर्च सुगम हुआ है।
  • AI आधारित स्मार्ट निदान जैसे नाड़ी परीक्षण, जीभ विश्लेषण पारंपरिक विधियों को अधिक वैज्ञानिक आधार दे रहे हैं।
  • आयुर्जीनोमिक्सके माध्यम से व्यक्ति की प्रकृति पर आधारित व्यक्तिगत चिकित्सा की दिशा में महत्वपूर्ण प्रगति हुई है।

 

इस प्रकार कृत्रिम बुद्धिमत्ता न केवल आधुनिक चिकित्सा को तेज़, सटीक और किफायती बना रहा है, बल्कि भारत की पारंपरिक स्वास्थ्य प्रणालियों को वैज्ञानिक विश्वसनीयता और वैश्विक प्रतिस्पर्धा भी प्रदान कर रहा है।

 

  



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प्रश्न–कृत्रिम बुद्धिमत्ता, जीन-संपादन और क्लोनिंग जैसी उभरती तकनीकों के बढ़ते उपयोग नेमानव गरिमाको सबसे अधिक चुनौती दी है। टिप्‍पणी कीजिए। 6 Marks 

उत्तर- उभरती तकनीकें विशेषकर कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI), जीन-संपादन और क्लोनिंग जहां मानव सभ्यता को अभूतपूर्व गति दे रही हैं, वहीं इसी प्रगति के बीच मानव गरिमा का प्रश्न संवेदनशील मुद्दा बन चुका है जिसे निम्‍न प्रकार समझ सकते हैं:-


कृत्रिम बुद्धिमत्ता

  • कृत्रिम बुद्धिमत्ता का प्रसार न्याय, स्वास्थ्य और सुरक्षा जैसे निर्णयात्मक क्षेत्रों में मानवीय स्वायत्तता का क्षरण कर रहा है।
  • एल्गोरिद्म न भावनाएँ समझते हैं, न सांस्कृतिक विविधता। ऐसे में मशीन आधारित निर्णय व्यक्ति की विशिष्ट परिस्थितियों और गरिमा को अनदेखा कर सकते हैं।
  • फेस रिकग्निशन, स्वायत्त हथियार जैसे उपकरणमानव को डेटा-इकाईमें बदलने का जोखिम पैदा करते हैं।

जीन-संपादन 
  • जीन-संपादन में CRISPR जैसी तकनीकों ने जीनोमिक परिवर्तन को संभव किया है, किंतुडिज़ाइनर बेबीकी अवधारणा सामाजिक न्याय और समानता जैसे प्रश्‍न भी है।
  • बच्चों मेंइच्छित गुणचुनने से असमानता जैविक रूप धारण कर लेगी जो  मानव गरिमा की मूल भावना के विरुद्ध होगा।

क्लोनिंग 
  • क्लोनिंग एक व्यक्ति के प्रतिरूप का जन्म नैतिक जिम्मेदारी, पहचान और अधिकारों पर गहरी दुविधा पैदा करता है।
  • यदि क्लोन में दोष उत्पन्न हो जाए, तो उत्तरदायित्व का प्रश्न आधुनिक नैतिकता का सबसे जटिल विमर्श है।

 

स्‍पष्‍ट है कि तकनीकी क्षमता बढ़ रही है परंतु मानव गरिमा को संरक्षित रखने के लिए कठोर नैतिक, कानूनी और नियामकीय ढाँचे अनिवार्य हैं।

शब्‍द संख्‍या-215

 

प्रश्न :कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) का तीव्र विस्तार पर्यावरणीय संकट के नए अध्‍यायों को जोड़ रहा है।कथन का विश्लेषण कीजिए। 36 Marks 

उत्‍तर- कृत्रिम बुद्धिमत्ता ने जहां उद्योग, प्रशासन, चिकित्सा और शिक्षा में दक्षता की नई क्रांति पैदा की है वहीं इस तकनीकी प्रगति के समानांतर एकअदृश्य पर्यावरणीय संकटभी तेजी से उभर रहा है। AI मॉडल प्रशिक्षण, बड़े डेटा केंद्रों की ऊर्जा खपत, जल उपयोग और इलेक्ट्रॉनिक कचरे का बढ़ता दबाव संकेत देते हैं कि तकनीकी प्रगति और पर्यावरण संरक्षण के बीच संतुलन अब अत्यावश्यक है जिसे निम्‍न प्रकार देख सकते हैं:-

 

प्रमुख पर्यावरणीय संकट 

ऊर्जा खपत- एआई मॉडल को प्रशिक्षित करने वाले डेटा सेंटर्स अत्यधिक बिजली की मांग करते हैं। IEA के अनुसार, 2023 में डेटा सेंटर्स, एआई और क्रिप्टोकरेंसी ने मिलकर  वैश्विक बिजली खपत का 2% उपयोग किया। 2026 तक यह दुगने से जयादा होने की संभावना है। इससे कार्बन उत्सर्जन और ऊर्जा ग्रिड पर दबाव बढ़ रहा है।

कार्बन उत्सर्जन- एआई के संचालन में उपयोग होने वाली ऊर्जा अक्सर गैर-नवीकरणीय स्रोतों से आती है। अनुमान है कि चैटजीपीटी की हर क्वेरी से लगभग 4.32 ग्राम CO उत्सर्जित होता है। जैसे-जैसे उपयोग बढ़ता है, डेटा सेंटर्स से ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन भी 2030 तक दोगुना हो सकता है।

जल खपत- डेटा सेंटर्स की शीतलन प्रणाली के लिए अत्यधिक जल की आवश्यकता होती है जो लगभग 7,100 लीटर प्रति मेगावाट-घंटा तक है। जल-संकटग्रस्त क्षेत्रों में यह एक गंभीर पर्यावरणीय चुनौती बन रही है।

ई-अपशिष्ट और संसाधन दोहन- एआई में प्रयुक्त सर्वर, GPU और हार्डवेयर उपकरणों का निर्माण व निस्तारण भारी इलेक्ट्रॉनिक अपशिष्ट और प्रदूषण उत्पन्न करता है। 2030 तक ई-वेस्ट की मात्रा 2023 की तुलना में 1,000 गुना बढ़ सकती है। इसके अलावा, नए डेटा सेंटर्स के लिए भूमि दोहन और खनन गतिविधियाँ पर्यावरणीय क्षरण को और गहरा करती हैं।

असमान पर्यावरणीय बोझ- AI अवसंरचना से उत्पन्न प्रदूषण और संसाधन संकट का सबसे अधिक असर हाशिए पर पड़े समुदायों पर पड़ता है जो जलवायु न्याय का गंभीर प्रश्न बन गया है।

 

निष्‍कर्षत:  कृत्रिम बुद्धिमत्ता जहां मानव क्षमता को बढ़ा रहा है वहीं इससे होनेवाले पर्यावरणीय की क्षति गंभीर चिंता का विषय है जिसके तकनीकी समाधान में ऊर्जा-दक्ष AI मॉडल, सुधारित शीतलक तकनीक, रियल-टाइम ऊर्जा निगरानी औरग्रीन-डाटा सेंटरजैसी पहलें के साथ ऐसा संतुलित AI परिवेश बनाया जा सकता है जहाँ तकनीक और पर्यावरण संरक्षण दोनों साथ-साथ आगे बढ़ें।

शब्‍द संख्‍या- 355  





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