67th BPSC Mains GS-I and II Question Paper
Date: 30.12.2022
BPSC Special
67th BPSC Mains GS-I and II Question Paper
Date: 30.12.2022
प्रश्न- "आर्थिक विकास एवं पर्यावरण के मध्य संतुलन बनाने हेतु परमाणु ऊर्जा की संभावनाओं पर पुनर्विचार किया जाना आपके अनुसार कहां तक तर्कसंगत है।"
प्रश्न- " नवीकरणीय ऊर्जा अपनी सामान्य चुनौतियों के बावजूद ऊर्जा का बेहतर विकल्प प्रस्तुत करने के साथ-साथ भारत के शुद्ध शून्य उत्सर्जन की प्रतिबद्धता को भी मजबूती प्रदान करता है विवेचना करें।
प्रश्न- भारत में जल संकट की स्थिति तथा कारणों पर चर्चा करते हुए सरकार द्वारा इस दिशा में किए जा रहे प्रयासों को बताएं ।
प्रश्न "आपदाओं के प्रति सुभेद्य
होने के कारण बिहार में आपदा प्रबंधन अत्यंत आवश्यक है जिसके परिप्रेक्ष्य में बिहार
सरकार के अनेक प्रयास किए गए है।" कथन की विवेचना करें।
सामान्यत:
ऐसी घटनाएं जिसमें जीवन एवं संपत्ति की बड़ी हानि होती है और व्यापक स्तर पर जनजीवन
प्रभावित होता है आपदा कहलाती है। आपदाएं मानव जनित एवं प्राकृतिक दोनों हो सकती है
। बिहार में अनेक ऐसी परिस्थितियां है जो इसे आपदाओं के प्रति सुभेद्य बनाती है इसी
कारण से बिहार में आपदा प्रबंधन अत्यंत आवश्यक हो जाता है।
उपरोक्त
तथ्यों एवं आकड़ों से बिहार में आपदाओं के कारण होनेवाले जानमाल की क्षति तथा कुशल
आपदा प्रबंधन की आवश्यकता को समझा जा सकता है । इसी कारण आपदाओं के कुशल प्रबंधन
को राज्य सरकार प्राथमिकता देती है। बिहार में आपदा प्रबंधन गतिविधियों के सुदुद्दीकरण
के लिए अनेक कदम उठाए गए हैं।
आपदा
प्रबंधन की दिशा में बिहार सरकार के
प्रयास
बिहार
में आपदाओं के गंभीरता को देखते हुए आपदा प्रबंधन विभाग का गठन किया गया है जो आपदाओं
तैयारी, आपदाओं के
दौरान संकट प्रबंधन तथा आपदाओं के बाद राहत और पुनर्वास कार्य देखता है ।
इस प्रकार बिहार सरकार द्वारा आपदा प्रबंधन को सर्वोच्च प्राथमिकता
देते हुए विभिन्न आपदाओं से निबटने हेतु अनेक योजनाएँ बनाई गई है। आपदाओं के कारण बिहार को प्रति वर्ष
भारी मात्रा में राशि खर्च करना पड़ता है।
अतः 15वें वित्त आयोग
द्वारा भी इसको समझते हुए आपदा प्रबंधन की राशि वृद्धि की अनुशंसा की गयी है । 15वें वित्त आयोग द्वारा बिहार को आपदा प्रबंधन के लिए 10,432 करोड़ रु. की अनुशंसा की गयी है जो पिछले वित्त आयोग
की तुलना में चार गुना ज्यादा है । आपदा प्रबंधन राशि की यह वृद्धि बिहार के लिए
काफी फायदेमंद है।
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बिहार में मृदा की समस्या एवं संरक्षण
प्रश्न- कृषि प्रधान राज्य बिहार में मृदा की समस्या को बताएं तथा मृदा संरक्षण की दिशा में सरकार के प्रयासों के साथ साथ आप क्या सुझाव देना चाहेंगे ।
भूपटल के ऊपरी असंगठित पदार्थों की परत जिसका निर्माण चट्टानों के टूटने-फूटने से होता है मिट्टी कहलाती है। हांलाकि क्षेत्रफल की दृष्टि से बिहार जैसे छोटे राज्य में संरचनात्मक जटिलता, शैलों की विविधता, जलवायु तथा वनस्पतियों के प्रभाव से विभिन्न प्रकार की मिट्टीयां पायी जाती है फिर भी एक बहुत बड़े भाग पर जलोढ़ मिट्टी पायी जाती है जो गंगा तथा उसकी सहायक नदियों द्वारा लाए गए अवसादों से निर्मित है।
बिहार सरकार के कृषि अनुसंधान विभाग द्वारा मूल चट्टान, भूआकृति,
भौतिक एवं रासायनिक संरचना के आधार पर बिहार की मृदा का 3 भागों में वर्गीकरण किया गया है।
1.उत्तर
बिहार के मैदान की मिट्टी
2. दक्षिण
बिहार के मैदान की मिट्टी
3. दक्षिणी सीमांत पठार की मिट्टी
बिहार में मिट्टी की समस्याएं
कृषि प्रधान राज्य बिहार में जहां अधिकांश लोगों की जीविका
कृषि पर ही निर्भर है वहां मिट्टी एक बहुमूल्य प्राकृतिक संसाधन है । बिहार में मिट्टी
के अवैज्ञानिक,
अनियोजित उपयोग और मृदाक्षरण की समस्या पायी जाती है। एक अनुमान के अनुसार
बिहार की लगभग 32% भूमि क्षरण को समस्या से ग्रसित है। यह समस्या
बिहार के मैदानी और पठारी दोनों क्षेत्रों में है ।
सरकार के प्रयास
बिहार
सरकार द्वारा केन्द्र सरकार की योजनाओं एवं प्रयासों के साथ समन्वय बनाते हुए टिकाऊ
विकास एवं मृदा संरक्षण की दिशा में प्रत्यक्ष तथा अप्रत्यक्ष अनेक योजनाएं जैसे
जल-जीवन हरियाली अभियान, कृषि रोड मैप, जैविक कृषि गुणवत्ता नियंत्रण प्रयोगशाला, बागवानी प्रोत्साहन, वर्मी कम्पोस्ट, सूक्षमजीवी जैव उर्वरक, हरित खाद, हर खेत को पानी, जलवायु अनुकूल कृषि
कार्यक्रम आदि को सफलतापूर्वक लागू करने की दिशा में प्रयास किए जा रहे है ।
इस
प्रकार कृषि प्रधान राज्य में बिहार सरकार द्वारा मिट्टी संरक्षण हेतु अनेक प्रयासों
को किया जा रहा है फिर भी मृदा संरक्षण की दिशा में निम्नलिखित सुझाव को अपनाया जाना
बेहतर होगा।
बिहार
जैसे कृषि प्रधान राज्य में मृदा संरक्षण द्वारा न केवल पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा
दिया जा सकता है बल्कि फसलों में मात्रात्मक एवं गुणात्मक सुधार लाकर पोषण सुरक्षा एवं कृषि आय
में सुधार के उद्देश्यों को कुशलतापूर्वक प्राप्त किया जा सकता
है।
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अपवाह तंत्र से आप क्या समझते है ? बिहार के अपवाह तंत्र में शामिल उत्तरी बिहार तथा दक्षिणी बिहार की नदियों की विशेषताओं को बताएं ।
अपवाह तंत्र का तात्पर्य वर्षा के जल का पृथ्वी के सतह
पर प्रवाह की दिशा और व्यवस्था से है। भौगोलिक दृष्टि से अपवाह प्रणाली किसी
क्षेत्र के विकास एवं उसके धरातलीय स्वरूप की जानकारी देता है।
बिहार में अपवाह तंत्र का प्रमुख आधार गंगा एवं उसके
सहायक नदियाँ है । बिहार के 12 जिलों से प्रवहित होनेवाली गंगा बिहार
में 445 किमी लंबा सफर तय करती है जो बक्सर के पास चौसा में
बिहार में प्रवेश करती है और भागलपुर के पास कहलगाँव के पास से पश्चिम बंगाल में
चली जाती है। गंगा की सहायक नदियों के रूप में उत्तरी बिहार तथा दक्षिणी बिहार की नदियों
की अपनी अपनी विशेषताएं है फिर भी यह सभी नदियां अंततः प्रवाहित होते हुए गंगा में
मिल जाती है।
बिहार में नदियों का अपवाह प्रारूप मुख्य रूप से पादपाकार
है जिसका निर्धारण गंगा नदी और दोनों दिशाओं से आने वाली सहायक नदियों से बनता है ।
बिहार में गंगा को उसकी सहायक नदियों को प्रवाह दिशा के आधार पर दो भागों में
बांटा जा सकता है।
उत्तरी बिहार की नदियां
दक्षिणी बिहार की नदियां
बिहार की इन नदियों का जल परिवहन, सिंचाई,
मत्स्य पालन, ऊर्जा उत्पादन,पर्यटन, व्यापार आदि के साथ साथ धार्मिक एवं सांस्कृतिक
महत्व है। प्राकृतिक संसाधनों से समृद्ध
बिहार में वर्षा पर्याप्त मात्रा में होती है जिसके कारण नदियों का अपवाह तंत्र
समृद्ध बना रहता है।
बिहार लोक सेवा आयोग भूूगोल मुख्य परीक्षा हेतु अन्य उपयोगी प्रश्न
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